हर भारतीय नारी की अलमारी में होनी चाहिए ये 8 प्रकार की साड़ी
बनारसी साड़ी (Banarasi Saree)
यह बनारस और उसके आस-पास के शहरों में बनाई जाती है। प्राचीन काल में इन साड़ियों में सोने और चाँदी के तार का काम हुआ करता था। पर अब इसके अत्यधिक महँगे होने के कारण कृत्रिम तारों का प्रयोग होता है। विवाह और शुभ अवसरों पर बनारसी साड़ी पहनना आज भी गर्व का प्रतीक है।
शादियों में दुल्हन को आज भी ससुराल पक्ष से बनारसी साड़ी देने का चलन है। बनारसी साड़ी बहुत ही खूबसूरत लुक देता है। ज्यादातर महिलाएं बनारसी साड़ी पहनने पर जुड़ा बना गजरा लगतीं हैं। जिससे खूबसूरती में चार-चांद लगा देती हैं। इसलिए अगर आपको भी लोगों का ध्यान अपनी ओर केंद्रित करना हो तो एक बार बनारसी साड़ी पहनकर देखिए।
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कांजीवरम साड़ी (Kanjeevaram Saree)
तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनने वाली रेशमी साड़ी को कांजीवरम साड़ी के नाम से जाना जाता है। इन साड़ियों को बनाने में शहतूत के रेशम का प्रयोग किया जाता है। इन साड़ियों का बार्डर और आँचल एक रंग का होता है और बाकी साड़ी दूसरे रंग की।
इसके तीनों हिस्सों को अलग-अलग बुनकर इस प्रकार जोड़ा जाता है कि कोई जोड़ दिखता नहीं। इसे खासकर तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की महिलाएँ विवाह और शुभ अवसरों पर पहनती हैं। इस साड़ी के साथ गोल्ड इयरिंग डालें फिर देखिए कितनी खूबसूरत लगेंगी। एक कांजीवरम साड़ी हर महिला के पास होनी ही चाहिए। अगर नहीं है तो जरूर लें।
तांतकी साड़ी (Tantki Saree)
बंगाली महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक साड़ी तांत की साड़ी के नाम से जानी जाती है। यह बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बुनकरों के द्वारा बुनी जाती है। इसे बनाने के लिए सूती धागों का प्रयोग किया जाता है। इसमें जरी अथवा सूती किनारा होता है।